आजकल की बदलती लाइफस्टाइल के कारन वजन बढ़ना और बेली फैट होना Belly fat तो जैसे आम बात हो गई है ,हर दूसरा व्यक्ति इससे परेशांन है। वैसे तो बेली फैट होने के कई सारे कारन है पर उनमे कुछ मुख्य कारन है अनियमित खानपान, एक्सरसाइज की कमी, बॉडी की मूवमेंट न होना, और आरामदायक लाइफस्टाइल इन सारे कारणों से वजन बढ़ना या बेली फैट होना एक वैश्विक समस्या बन गई है। बेली फैट कई सारे अन्य रोगों को भी जन्म देती है ,इसके कारन व्यक्ति हमेशा थका हारा महसूस करता है, बेली फैट से व्यक्ति की कमर और पेट के आसपास जमा हुई चर्बी से किडनी और मूत्राशय में भी दिक्कते शुरू होने लगती है। वही रीढ़ की हड्डी में अतिरिक्त दबाव पड़ता है जिसके चलते आपको कमर दर्द की बीमारी शुरू होने लगती है।
क्या होता है बेली फैट | What Is Belly Fat
आपके पेट के आसपास जो जमा हुआ अनचाहा फैट होता है उसे बेली फैट कहा जाता है।
बेली फैट होने के कारण | Reasons Of Belly Fat
बेली फैट होने के कई सारे कारण हो सकते है जैसे की खराब खानपान की आदतें, व्ययाम का अभाव, आनुवंशिकता आदि।
अत्यधिक कैलोरीज का सेवन करना, या अधिक फैट युक्त खाना खाना ,जैसे की फ़ास्ट फ़ूड , प्रोसेसेस्ड फ़ूड, मिठाई ये आपके पेट की चर्बी बढ़ाते है।
व्यायाम न करना, शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारन भी शरीर में फैट जमा होने लगता है जिसके परिणामस्वरूप बेली फैट बढ़ने लगता है।
अगर आपकी जीवनशैली अत्यधिक बैठकर या आपका व्यवसाय ही कुछ ऐसा जिसमे दिनभर बैठा रहना पड़ता है तो भी आपको मोटापे की समस्या होने लगती है और पेट पर चर्बी आना शुरू हो जाता जाता है।
अगर आपके घर में किसी सदस्य को पहले से हे मोटापे की शिकायत है तो भी आपको वजन बढ़ने लगता है। आनुवंशिकता के करण भी आप मोटापे के शिकार हो सकते है।
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बेली फैट कम करने के उपाय | Ways To Reduce Belly Fat
- कम फैट वाले खाद्यपदार्थों का सेवन करे।
- रोजाना एक्सरसाइज योग या प्राणायाम करे।
- अत्यधिक जंक फ़ूड, प्रोसेसेस्ड फ़ूड, मिठाई खानेसे बचे।
- अपने डाइट में फाइबर युक्त पदार्थ,रोजाना फ्रूट्स या फ्रूट जूस शामिल करे।
- अपने भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाये।
- तनाव कम करने के लिए मैडिटेशन का सहारा ले।
- अच्छी नींद लेनेसे आपका वजन कम होने में मदत मिलती है इसलिए रोजाना 7 से 8 घंटे की नींद जरूर ले।
- रोजाना खली पेट गुनगुने पानी में थोड़ा शहद और निम्बू मिलकर वो पानी पिए इससे आपका पाचनतंत्र मजबूत बनता है।
- अपने डाइट में पोषक स्नैक्स शामिल करे जैसे की भुने हुए चने , मखाने या सूखा मेवा आदि।
- अपने नाश्ते का, लंच का और डिनर का समय सुनिश्चित करके रोजाना उसी समय पर भोजन करे।
- शराब ,सिगरेट जैसे नशे से दूर रहे।
प्राणायाम | Pranayama
प्राणायाम योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और प्राणायाम का मतलब होता है “प्राण” यानी श्वास को नियंत्रित करना और “आयाम” यानी श्वास की लम्बाई को विशेष रूप से नियंत्रित करना। प्राणायाम विभिन्न प्रकार के होते हैं जो श्वास की नियंत्रण और शांति को प्राप्त करने में मदद करते हैं। ये आपके स्वास्थ्य और आत्मा के विकास में मदद कर सकते हैं। प्राणायाम न सिर्फ हमे शारीरिक रूप से मजबूत करता है बल्कि ये हमे मानसिक रूप से भी काफी मजबूत बनाता है।
प्राणायाम से हम अपने शरीर के कई सारे रोग दूर कर सकते है। इनमे से एक है मोटापा। ये हमारे शरीर का अत्यधिक वजन कम करने में काफी सहायक माना जाता है। इसलिए आज हम इस ब्लॉग पोस्ट में कुछ ऐसे प्राणायाम बताएंगे जिससे आपके पेट की चर्बी यानि बेली फैट कम होने लगेगा। निचे दिए गए कुछ प्राणायाम है जिसे करने में आपको ज्यादा श्रम करने की भी आवश्यकता नहीं होगी। यह प्राणायाम करने से आपको एक महीने में बेली फैट में फर्क दिखने लगेगा।
1.कपालभाति प्राणायाम | Kapalbhati Pranayama
कपालभाति एक प्राणायाम करने की विधि है। संस्कृत में कपल को माथा या ललाट कहा जाता है, और भाती का अर्थ होता है तेज। ये प्राणायाम करने से आपके मुख पर एक आतंरिक तेज उत्पन्न होता है इसलिए इस प्राणायाम को कपालभाति कहा जाता है। कपालभाति काफी ऊर्जावान प्राणायाम है। कपालभाति वो प्राणायाम है जिससे आपका मस्तिष्क स्वस्छ होता है और इस स्तिथि में आपका मस्तिष्क की कार्यप्रणाली भी सुचारु रूपसे काम करने लगती है।
विधि :
कपालभाति प्राणायाम करते समय हमेशा अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी रखे।
अब सुखासन में बैठे या आप कुर्ची पर भी बैठ सकते है।
सबसे पहले नार्मल सांस ले अब सांस बाहर छोड़ते वक़्त तेजी से बाहर फेंके।
अब पेट ढीला छोड़ दे। फिर हलके झटके से सांस बाहर फेकें।
श्वास को तेजी से बाहर की ओर डालें, जबकि श्वास को अंदर की ओर आने दें। इस प्रक्रिया को देखने के लिए आपका पेट अंदर और बाहर आने लगेगा।
इस आसन को आप प्रारंभ में 10-20 बार करें और फिर समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ाएं, अपनी शक्ति और आवश्यकता नुसार इसे 50 बार करे।
ध्यान रहे की ये क्रम धीरे धीरे बढ़ाये।
लाभ :
ये प्राणायाम नियमित रूप से करने पर शरीर की अनावश्यक चर्बी घटती है।
हाजमा दुरुस्त रहता है।
भविष्य में कफ से सम्बंधित रोग व् सांस के रोग नहीं होते।
ये प्राणायाम करनेसे व्यक्ति दिनभर एक्टिव रहता है।
रात को नींद अच्छी आती है।
पेट की पेशियों को मजबूत बनाता है।
सावधानी :
लिवर,प्लीहा,छोटी आंत,बड़ी आंत, पैन्क्रियाज, गुर्दे ,स्लिप डिस्क, कमर दर्द ,अलसर और सूजन आदि शिकायतों में यह प्राणायाम न करे।
हाई ब्लड प्रेशर ,ह्रदय रोग और पेट में गैस आदि तकलीफों में ये प्राणायाम न करे।
बंद और गर्म वातावरण में ये प्राणायाम न करे।
गर्भावस्था और मासिक चक्र में ये यह प्राणायाम न करे।
बुखार, दस्त, या कमजोरी में ये प्राणायाम न करे।
कब्ज की स्थति में प्राणायाम न करे।
खाना खाने के बाद 3 घंटे तक इस प्राणायाम को न करे।
2.भस्त्रिका प्राणायाम | Bhastrika Pranayama
भस्त्रिका प्राणायाम ये एक ऐसा प्राणायाम है जिसमे आपको गहरी सांस लेनी होती है। इस प्राणायाम में सांस पूरी अंदर लेनी है और बाहर छोड़नी है। अपनी सांस बाहर छोड़ते वक़्त जोर से छोड़ें।
विधि :
सबसे पहले एक आरामदायक आसान में सीधे बैठे।
श्वास को सामान्य रूप से लें, और अपने पूर्ण श्वास को अंदर की ओर लीजिए।
भस्त्रिका प्राणायाम: अब भस्त्रिक प्राणायाम का प्रारंभ करें – श्वास को तेजी से बाहर की ओर और फिर अंदर की ओर लीजिए, जैसे आपकी नाक से हो रहा है।
आप देखेंगे की श्वास छोड़ते समय हर झटके से नाभि पर थोड़ा दबाव पड़ता है।
ध्यान बरताते हुए, प्रत्येक श्वास को तेजी से बाहर और अंदर लें।
इस प्राणायाम को आप 4 से 10 बार कर सकते है।
लाभ :
भस्त्रिका करने से फेफड़ों को भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन मिलता है।
यह आपके श्वसन सम्बंधित को दूर करता है।
इससे आपके शरीर में गर्मी बढ़ती है और भूक बढ़ जाती है।
ये प्राणायाम बलगम को नष्ट करता है।
भस्त्रिका पाचन तंत्र,साइनस और मधुमेह के लिए काफी फायदेमंद है।
सावधानी : अगर आपको ह्रदय रोग, बीपी, फेफड़े के रोग या कोई भी अन्य रोग है तो आप ये प्राणायाम न करे।
3.अनुलोम विलोम प्राणायाम | Anulom Vilom Pranayama
अनुलोम विलोम प्राणायाम में गहरी सांस लेनेमें और छोड़ने की विधि को बार बार दोहराया जाता है। इस प्राणायाम को ”नाड़ीशोधन प्राणायाम” भी कहा जाता है। अनुलोम विलोम करनेसे शरीर की साडी नाड़िया स्वस्थ और निरोगी बनती है।
ये प्राणायाम किसी भी आयु का व्यक्ति कर सकता है।
अनुलोम विलोम करने से आपमें एकाग्रता बढ़ती है साथ ही साथ यह आपको ऊर्जावान बना देता है।
ये प्राणायाम करनेसे आपके शरीर को ऑक्सीजन मिलता है।
विधि :
सबसे पहले सुखासन में बैठ जाए, ध्यान रहे की रीढ़ की हड्डी सीधी होनी चाहिए।
अपना अंगूठा दाहिनी नासिका पर रखे और बाई नासिका से गहरी सांस ले।
अब अपनी अनामिका ऊँगली से बायीं नासिका को बंद करे और दाहिनी नासिका खोले और सांस बाहर छोड़े।
अब दाहिनी नासिका से ही सांस ले।
फिर बाई नासिका खोलिये और सांस बाहर छोड़े। जिस नासिका से सांस बाहर छोड़ते है उसीसे सांस अंदर ले।
लाभ : हाई बीपी, ह्रदय रोग, पैरालिसिस, माइग्रेन, अस्थमा, साइनस, एलर्जी जैसी बिमारियों को अनुलोम विलोम प्राणायाम से ठीक किया जा सकता है।
सावधानी :
ह्रदय रोग और बीपी की शिकायत होने पर डॉक्टर से परामर्श लेकर ही ये प्राणायाम करे।
अगर पहली बार ये प्राणायाम कर रहे है तो किसी योग गाइड के निर्देशन में करे।
ये प्राणायाम पहली बार करते वक़्त इसे धीरे धीरे से करे।
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सावधानी : कोई भी आसन या प्राणायाम अगर पहली बार कर रहे है तो किसी योग गाइड के निर्देशन में करे.
डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है। अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित है तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर ले और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय ले।