बवासीर, जिसे अंग्रेजी में “Piles” या “hemorrhoids” कहते है। ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें गुदा क्षेत्र( Anus) में रक्त वाहिनियों में सूजन और प्रदाह( जलन ) होती है, जिससे असहजता, दर्द और कभी-कभी खून निकलने की स्थिति हो सकती है। इसमें गुदा (anus ) के अंदर और बाहर मलाशय (rectum ) के निचले हिस्से में सूजन आती है। इसके कारन गुदा के अंदर और बाहर या किसी एक जगह पर मस्से बनते है। ये मस्से कभी अंदर रहते है तो कभी बाहर आ जाते है। सबसे ज्यादा 50 -60 की उम्र में लोंगो को piles (बवासीर ) होने लगता है वही महिलाओं में Piles ( बवासीर ) की समस्या का होना ज्यादा देखा गया है। इस रोग का सही समय पर इलाज करना बेहद जरुरी होता है अगर समय पर उपचार नहीं किया गया तो रोगी की और तकलीफ बढ़ने लगती है।
बवासीर के प्रकार | Types Of Piles / Haemorrhoids
1 . आतंरिक बवासीर | Internal Piles / Haemorrhoids
आंतरिक बवासीर आंत में स्थित होते है, इसमें कोई पीड़ा तो नहीं होती पर मलत्याग करते समय खून आने लगता है इसलिए इसे खुनी बवासीर भी बोलते है।
इसमें गुदा के अंदर मस्से होने लगते है। मलत्याग के समय खून मल के साथ साथ बाहर आने लगता है या कभी कभी पिचकारी के रूप में भी बाहर आने लगता है। मलत्याग के बाद मस्से अपने आप अंदर चले जाते है है परन्तु गंभीर अवस्था में अपने हाथो से दबाने पे भी मस्से अंदर नहीं जा पाते ऐसे में रोगी का तुरंत उपचार कराये।
2 . बाहरी बवासीर | External Piles / Haemorrhoids
बाहरी बवासीर में रोगी को अधिक तकलीफ होती है। इसमें पेट की समस्या अधिक होने लगती है जैसे कब्ज, गैस की समस्या बनी रहती है। इस बवासीर में रक्तस्त्राव तो नहीं होता, इसमें मस्से बाहर आये हुए साफ़ दिखने लगते है। इनमे बार बार खुजली और जलन होती रहती है। शुरुवाती में ये इतनी तकलीफ नहीं देते परन्तु लगातार अस्वस्थ खान पान और कब्ज होते रहने के कारन ये फूलने लगते है फिर इनमे खून जमा होने लगता है और बाद मे सूजन आने लगती है। इसमें बोहोत ज्यादा असहनीय दर्द होता है इतना ज्यादा की रोगी दर्द से छटपटाने लगता है। मलत्याग करते समय तो और ज्यादा दर्द बढ़ने लगता है। ऐसी अवस्था में रोगी का चलना फिरना भी काफी मुश्किल हो जाता है। और बैठने पर भी ये काफी ज्यादा दर्द का अनुभव कराता है। लेकिन सही समय पर इसका इलाज करे तो रोगी जल्द ही स्वस्थ बन जाता है।
3 . बवासीर होने के लक्षण | Symptoms Of Piles / Haemorrhoids
- मलत्याग करते समय अत्यधिक पीड़ा होना।
- गुदा के आसपास खुजली व् सूजन होना।
- बार बार मलत्याग ने की इच्छा होना पर मलत्याग न होना।
- मलत्याग करते समय म्यूकस आना।
- शौच के वक़्त जलन होना व् खून निकलना।
- शौच के बाद भी पेट साफ़ न होने के आभास होना।
बवासीर होने के कारण | Piles or Haemorrhoids Causes
- वैसे तो बवासीर होने के बहुत सारे कारण है जैसे की निष्क्रिय जीवन शैली, घंटे घंटे एक ही जगह पर बैठे रहना, व्यायाम, योग न करना ये भी बवासीर होने के मुख्य कारण है। वही कुछ कुछ लोंगो में ये रोग आनुवंशिक भी देखा गया है।
- रोज के रोज पेट साफ़ न होना, कब्ज होना ये भी बवासीर होने का एक कारन है। कब्ज में मल सुख जाता है इससे वो कठोर हो जाता है, जिसकी वजह से व्यक्ति को मलत्याग करते वक़्त काफी कठिनाई होने लगती है, और काफी देर उकडू की स्तिथि में बैठे रेहनेसे रक्तवाहनियों पे जोर पड़ता है और वो फूलकर लटक जाती है जिसे हम मस्सा कहते है।
- अधिक जंक फ़ूड का सेवन करना।
- फायबर युक्त भोजन का सेवन न करना।
- महिलाओं में प्रसव के दौरान गुदा क्षेत्र पर दबाव पड़नेसे भी बवासीर होने का डर रहता है।
- डिप्रेशन
- आलस्य
- धूम्रपान करना।
- शराब का सेवन करना।
Home Remedies For Piles In Hindi | बवासीर का घरेलु उपचार हिंदी में।
एलोवेरा का गुदा ( Aloe-Vera pulp )
एलोवेरा बवासीर की सूजन से राहत देने के लिए एक बहुत ही प्रभावी आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। एलोवेरा में ऐंटीइंफ्लामेटोरी (anti-inflammatory ) और एंटीबैक्टीरियल (Antibacterial) गुण पाए जाते है ये रोगी को खुजली, सूजन से राहत दिलाता है। एलोवेरा की कुछ पत्तिया ले और उसका जेल निकल के एक साफ़ कटोरी में इकट्ठा करे। इस गूदे को अच्छी तरह से मैश करे फिर इस जेल को दिन में 2 -3 बार अपने गूदा क्षेत्र पर लगाए, ज्यादातर मल त्यागने के बाद ही ये जेल अपने गूदा क्षेत्र पर लगाए।
नारियल का तेल ( Coconut Oil )
नारियल तेल की प्रकृति में anti-inflammatory ( सूजन रोधी ) गुण होते है। आप इस तेल को अपने हाथो से अपने गूदाक्षेत्र पर लगा सकते है, इससे त्वचा मुलायम होती है। ये मलत्याग करते समय गूदाक्षेत्र पर घर्षण से राहत दिलाती है। इसे दिन में 3 -4 बार लगाए जब तक आपकी बवासीर पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाती।
सिट्ज़ बाथ ले : ( Take Sitz Baath )
ये बवासीर में होनेवाली जलन, दर्द से राहत दिलाता है, सिट्ज़ बाथ योनि और मलाशय के बिच के क्षेत्र को कीटाणु रहित करता है। आप घर पर आसानी से सिट्ज़ बात ले सकते है। सबसे पहले टब को अच्छी तरह साफ़ कर ले और उसमे गर्म पानी भर ले, ध्यान रहे पानी 3 इंच से ज्यादा न हो, फिर आप टब में जाए और अपन गूदा क्षेत्र को उसमे भिगोये। आप अपने घुटनो को मोड़ सकते है या उन्हें टब के बाहर भी रख सकते है। इस टब में 15 मिनट रहे। जब आप टब में से बाहर निकले तब अपने गूदा क्षेत्र को सॉफ्ट मुलायम तौलिये से धीरे धीरे पोंछ ले। उसके बाद टब को दोबारा साफ़ करके रख दे।
त्रिफला चूर्ण : ( Triphala Churn )
त्रिफला चूर्ण बवासीर में सबसे अधिक प्रभावशाली चूर्ण है। कब्ज होना बवासीर का मुख्य कारन है, अगर आप कब्ज होनेसे रोक सकते है तो आप बवासीर को पूरी तरह से ठीक कर सकते है। इसलिए रोजाना रात को सोते समय एक कप गर्म पानी में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण ले और उसका सेवन करे। इससे आपकी आंते हर दिन साफ़ होगी।
बवासीर कैसा डाइट ले ? | Diet For Piles Patients
- फाइबर युक्त आहार: बवासीर के लिए फाइबर युक्त आहार अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें संपूर्ण अनाज, दालें, फल, सब्जियां, गाजर, गोभी, टमाटर,प्याज, लहसुन, अदरक, आदि शामिल हो सकते हैं। फाइबर मलत्याग को नर्म और आसान बनाता है।
- पानी: पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बवासीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह सुर्खायमानता को बढ़ाने में मदद करता है और संपूर्ण शरीर के लिए स्वास्थ्यप्रद होता है।
- फलों का नियमित सेवन: बवासीर में ताजे फलों का नियमित सेवन उपयोगी होता है। संतरा,पपीता, सेब, अंगूर आदि फलों में फाइबर और पानी की अच्छी मात्रा होती है जो पाचन और मलत्याग को सुधारती है।
- सूखे मेवे: मुनक्का, बादाम, काजू, अंजीर और किशमिश जैसे सूखे मेवे आपके आहार में शामिल किए जा सकते हैं। ये मेवे फाइबर समृद्ध होते हैं और पाचन को सुधारने में मदद करते हैं।
बवासीर में परहेज करे। What To Avoid In Piles
- अधिक बैठने से बचें और व्यायाम, योग करें।
- जंक फ़ूड के सेवन से बचे।
- बेकरी,डेरी फ़ूड का सेवन अत्यधिक न करे।
- आवश्यकता न होने पर अधिक समय तक न बैठें।
- मांस या अंडे का सेवन न करे।
- जोर न लगाएं और ठीक से आराम से मलत्याग करें।
- नमक के सेवन को कम करे।
- अगर आपको बवासीर है तो पनीर, दूध, आइसक्रीम और मिठाइयाँ आदि से दूर रहे।
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डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है। अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित है तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर ले और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई निर्णय ले।
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