Easy yoga poses to improve digestion within 1 month: अगर हमारे शरीर के स्वस्थ्य को बेहतर बनाये रखना है तो पाचनतंत्र का ठीक तरह से काम करना बहुत ही आवश्यक हैं. स्वस्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार पाचन को स्वस्थ रखने के लिए हेल्दी डाइट के साथ साथ शरीर को एक्टिव रखना भी आवश्यक होता है इसलिए अपने डेली रूटीन में जिम, एक्सरसाइज, योग जरूर शामिल करे पाचनतंत्र मजबूत बनाये रखने के लिए योग काफी लाभदायक माना गया है. पेट के विकारो के उचित उपचार के लिए आसनों पर विचार करते समय एक बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए की रीढ़ को आगे, पीछे, सीधा और उल्टा मोड़नेवाले आसनो का चयन करे. आइये जानते है पाचनतंत्र सुधारने वाले 6 आसान योगासन जो पाचनतंत्र (digestion) मजबूत बनाने के लिए हमारी काफी सहायता करते है.
1. भुजंगासन | Bhujangasana or (Cobra Pose)
इस आसन में शरीर की आकृति भुजंग अर्थात सर्प बनती है इसलिए इस आसन को भुजंगासन कहते है, यह आसन पेट के बल लेटकर किया जाता है.
भुजंगासन करने की विधि | Steps to perform Bhujangasana
- उलटे होकर पेट के बल लेट जाए. पाव के एड़ी व पंजे मिले हुए रखे. ठोड़ी फर्श पर रखी हुई.
- कोहनिया कमर से सटी हुई और हथेलिया ऊपर की और.
- अब धीरे धीरे हाथ को कोहनियो से मोड़ते हुए लाए और हथेलियों को बाजुओं के निचे रख दे.
- फिर ठोड़ी को गर्दन में दबाते हुए माथा भूमि पर रखे.
- पुन नाक को हल्का सा भूमि पर स्पर्श करते हुए सिर को आकाश की और उठाये.
- जितना सिर और छाती को पीछे ले जा सकते है ले जाए किन्तु नाभि से लगी रहे.
- २० सेकंड तक यह स्तिथि रखे, बाद में श्वास छोड़ते हुए धीरे धीरे सिर को निचे लाकर माथा भूमि पर रखे. छाती भी भूमि पर रखे, पुन: ठोड़ी को भूमि पर रखे.
भुजंगासन करते हुए बरते ये सावधानियां | Precautions and warning
इस आसन को करते समय अकस्मात् पीछे की तरफ बहुत अधिक न झुके, इससे आपकी छाती या पीठ की मासपेशियों में खिचाव आ सकता है तथा बाहों और कंधो की पेशियों में भी बल पड सकता है जिससे दर्द पैदा होने की सम्भावना बढ़ती है. पेट में कोई रोग या पीठ में अत्यधिक दर्द हो तो यह आसन न करे.
अगर आपको निचे दी गयी शारारिक समस्याएं है तो भुजंगासन का प्रयोग ना करे.
- पेट की सर्जरी हुई है.
- सिरदर्द (Headache or Migraine problems).
- पीठ में चोट.
- हर्निया (Hernia).
भुजंगासन के क्या लाभ है | Benefits of Bhujangasana
- इस आसन से रीढ़ की हड्डी सशक्त होती है और पीठ में लचीलापन आता है.
- पेट से जुडी बीमारियों में कब्ज बोहोत आम बीमारी है, भुजंगासन के प्रयोग से कब्ज दूर होता है.
- इस आसन से पित्ताशय की क्रियाशीलता बढ़ती है और पाचनप्रणाली की कोमल पेशिया मजबूत बनती है.
- भुजंगासन से पेट की चर्बी घटने में भी मदत मिलती है और आयु बढ़ने के कारण से पेट के निचे के हिस्से की पेशियों को ढीला होने से रोकने में सहायता मिलती है.
- भुजंगासन से बाजुओं में शक्ति मिलती है. पीठ में स्थित इड़ा और पिंगला नाड़ियो पर अच्छा प्रभाव पड़ता है.
- भुजंगासन के प्रयोग से मस्तिष्क से निकलने वाले ज्ञानतंतु बलवान बनते है.
- भुजंगासन करने से पीठ की हड्डियों में रहने वाली तमाम खराबियाँ दूर होती है.
- यह आसन फेफड़ो की शुद्धि के लिए भी बहुत अच्छा है और जिन लोंगो का गला ख़राब रहने की, दमे की, पुराणी खांसी अथवा फेफड़ो सम्बन्धी अन्य कोई बीमारी हो, उनको यह आसन करना चाहिए.
2. धनुरासन | Dhanurasana (Bow Pose)
धनुरासन में शरीर की आकृति सामान्य तौर पर खींचे हुए धनुष्य के सामान हो जाती है, इसलिए इसको धनुरासन कहते है.
यह आसन पेट के बल पर लेटकर किया जाता है. इससे पेट की चर्बी भी घटती है.
धनुरासन करने की विधि | Steps to perform Bhujangasana
- मकरासन की अवस्था में पेट के बल लेट जाए. फिर दोनों पैरो को आपस में सटाते हुए हाथो को कमर से सटाये. ठोड़ी भूमि पर रखे. एड़ी-पंजे और घुटने मिले हुए हो.
- कोहनिया कमर से सटी हुई और हथेलिया ऊपर की और रखे.
- अब टांगो को घुटनो से मोड़े. फिर दोनों हांथो से पैरो को टखनों के पास से पकडे.
- हाथो और पैरो को खींचते हुए घुटने भी ऊपर उठाये. जितना हो सके उतना सिर पीछे की और ले जाए. प्रयास कीजिये की पुरे शरीर का बोझ नाभिप्रदेश के ऊपर ही रहे.
- पैर के तलवे और सिर समान रूप सीधे में रहे.
- कुम्भक करके इस स्तिथि में 30-40 सेकंड तक रहे.
- वापस आने के लिए पहले ठोड़ी को भूमि पर टिकाये, फिर हाथो को बाद में धीरे धीरे पैरो को भूमि पर लाते हुए पुनः मकरासन की स्तिथि में लेट जाए और पूरक करे.
- श्वास प्रश्वास के सामान्य होने पर दूसरी बार करे. इस प्रकार 3-4 बार करने से इसका अभ्यास बढ़ता है.
धनुरासन करते हुए बरते ये सावधानियां | Precautions and warning
- जिन लोंगो को रीढ़ की हड्डी का अथवा डिस्क का अत्यधिक कष्ट हो, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए.
- पेट सम्बन्धी कोई गंभीर रोग हो तो भी यह आसन न करे.
धनुरासन के क्या लाभ है | Benefits of Dhanurasana
- धनुरासन से पेट की चर्बी कम होती है. इससे सभी आतंरिक अंगो, मासपेशियो और जोड़ों का व्यायाम हो जाता है.
- धनुरासन के प्रयोग से गले के तमाम रोग नष्ट होते है.
- धनुरासन से पाचनशक्ति बढ़ती है.
- धनुरासन करने से नपुंसकता दूर होनेमे काफी मदत होती है.
- धनुरासन के प्रयोग से श्वास की क्रिया व्यवस्थित चलती है.
- धनुरासन मेरुदंड को लचीला एव स्वस्थ बनाता है. सर्वाइकल, स्पोंडोलाइटिस, कमर दर्द एव उदर रोंगो में लाभकारी आसन है.
- धनुरासन स्त्रियों की मासिक धर्म सम्बन्धी विकृतिया दूर करता है.
- धनुरासन मूत्र-विकारो को दूर कर गुर्दो को पुष्ट बनाता है.
3. मत्स्यासन | Matsyasana (Fish Pose)
मत्स्य का अर्थ है मछली. इस आसन में शरीर का आकर मछली जैसा बनता है अतः ये मत्स्यासन कहलाता है. यह आसन छाती को चौड़ा कर उसे स्वस्थ बनाये रखने में सक्षम है.
मत्स्यासन करने की विधि | Steps to perform Matsyasana
- पहले पद्मासन लगाकर बैठ जाए.
- फिर पद्मासन की स्तिथि में हे सावधानीपूर्वक पीछे की और चित होकर लेट जाए.
- ध्यान रहे की लेटते समय दोनों को घुटने जमीं से हे सटे रहे.
- दोनों कोहनिया को भूमि से लगाए रखे.
- एक मिनट से प्रारम्भ करके पांच मिनट एक अभ्यास बढ़ाये.
- पुनः हाथो की सहायता से उठकर बैठ जाए.
- आसन करते वक़्त श्वास की गति सामान्य बनाये रखे.
मत्स्यासन करते हुए बरते ये सावधानियां | Precautions and warnings
- छाती व् गले में अत्यधिक दर्द या अन्य कोई रोग होने की स्तिथि में यह आसन न कर.
- बड़ी सावधानी से यह आसन करना चाहिए, शीघ्रता से गर्दन में मोच आ जाने का भय रहता है, क्योकि धड़ को बिलकुल ऊपर कर देना होता है, यह आसन एक मिनट से दो मिनट तक किया जा सकता है.
मत्स्यासन के क्या लाभ है | Benefits of Matsyasana
- इससे आँखों की रौशनी बढ़ती है.
- गला साफ़ रहता है तथा छाती और पेट के रोग दूर होते है.
- रक्ताभिसरण की गति बढ़ती है, जिससे त्वचा के रोग नहीं होते. त्वचा की निगरानी के बारेमे यहाँ अवश्य पढ़े.
- दमे के रोगियों को इससे लाभ मिलता है.
- पेट की चर्बी घटती है.
- खासी दूर होती है.
4. पवनमुक्तासन | Pavanmuktasana (Wind Relieving Pose)
संस्कृत में पवन का अर्थ है हवा और मुक्त का अर्थ है रिलीज़ करना. पवनमुक्तासन पुरे शरीर में हवा को बैलेंस कर देता है. इसलिए इस आसन को हम पवनमुक्तासन कहते है.
पवनमुक्तासन करने की विधि | Steps to perform Pavanmuktasana
- अपनी पीठ के बल लेट जाये, धीरे से घुटने उठा के अपने सीने से लगाए. अपनी एड़ी नितम्बो पर रखे और घुटने को हाथो से से पकड़ ले.
- सामान्य सांस लेते रहे.
- अपनी आँखे बंद करे या अपने घुटनों से परे टकटकी लगाए और अपनी पीठ की मासपेशियो को आराम से ढीला छोड़े.
- जब तक यह अच्छा लगता है तब तक इस मुद्रा को पकड़ो.
- सामान्य स्तिथि में आने के लिए – रिहाई के समय सांस अंदर ले और दोनों पैंरो को सीधा कर ले. व्यायाम दोहराने से पहले आराम करना चाहिए.
पवनमुक्तासन के क्या लाभ है | Benefits of Pavanmuktasana
- यह आसन शरीर में हवा को नियंत्रित करता है.
- यह कब्ज और अपच से छुटकारा दिलाता है.
- यह मोटापा और पेट के अत्यधिक वसा कम करता है. Weight loss की अधिक जानकारी के लिए वेट लॉस टिप्स इन हिंदी इस आर्टिकल जरूर को पढ़े.
- यह फेफड़ों और दिल के रोग दूर रखने में मदत करता है.
- अम्लता और गैस के गठन से पीड़ित लोंगो को लिए पल में सुधारात्मक प्रभाव डालता है.
- यह बांझपंन, नपुंसकता और मासिक धर्म समस्याओं के उपचार में उपयोगी है.
पवनमुक्तासन करते हुए बरते ये सावधानियां | Precautions and warnings
- स्लिप डिस्क के रोगी इस आसन को न करे.
- गर्भवती महिलाओं को ये करना चाहिए.
5. वज्रासन | Vajrasana (Diamond Pose)
वज्रासन में शरीर वज्रा की तरह मजबूत और शक्तिशाली होता है इसलिए इस आसन को वज्रासन कहते है. यह आसन करने से आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है.
इस आसन को भोजन करने के बाद भी किया जा सकता है.
वज्रासन करने की विधि | Steps to perform Vajrasana
- वज्रासन के लिए सबसे पहले जमीं पर चटाई बिछाये, उसपे पहले सामान्य स्तिथि में बैठ जाए.
- अपने दाए पैर को घुटनो से मोड़कर पीछे की तरफ ले जाए और दाए नितम्ब के निचे लगाए.
- अपने एड़ी को शरीर से सटाकर तथा पंजे को ऊपर की और रखे.
- इस घुटने से पैर की उंगलियों तक का भाग फर्श से बिलकुल सटाकर रखे, फिर अपने बाए पैर को भी घुटने से मोड़कर पीछे की और नितम्ब से लगाए.
- दोनों घुटनो को मिलाकर रखे तथा तलवों को अलग अलग रखे.
- अब अपने दोंनो हाथो को तानकर घुटनो पर रखे और अपने पुरे शरीर का भार अपने एड़ी व पंजो पर डालकर बैठ जाए. अपने कमर, रीढ़ की हड्डी, सिर आदि को बिलकुल सीधा व् तानकर रखे.
- इस स्तिथि में आने के बाद दृष्टि को नाक के अगले भाग पर टीकाकार सामान्य रूप से सांस ले और छाती को फुलाए. वज्रासन की इस स्तिथि में 10 से 15 मिनट रखे.
वज्रासन के क्या लाभ है | Benefits of Vajrasana
- मोटापा कम करने के लिए.
- इस आसन से आप अपना मोटापा कम कर सकते है. यह आसन आपके पाचनतंत्र को स्वस्थ रखता है और अपच भोजन की एव गैस की सम्भावना को कम करता है.
- इस आसन से रीढ़ की हड्डी स्वस्थ रहती है साथ ही साथ कमर व् गर्दन भी सीधी रहती है.
- ये एक ऐसा आसन है जो किसी भी समय किया जा सकता है.
- भोजन करने के बाद इस आसन में बैठने से हमने ग्रहण किया हुआ भोजन आसानी से पच जाता है साथ हे हमारा पेट तनाव मुक्त रहता है.
- नियमित प्रयोग से पाचनतंत्र सुधरता है.
वज्रासन करते हुए बरते ये सावधानियां | Precautions and warnings
- जिनके घुटने में दर्द हो वो ये आसन न करे.
- स्लिप डिस्क की स्तिथि में भी यह आसन न करे.
- अगर किसी को पाइल्स की शिकायत हो तो भी वो व्यक्ति इस आसन को न करे.
6. पश्चिमोत्तसन | Paschimottanasana (Forward Bend Pose)
पश्चिम अर्थात पीछे का भाग- पीठ. इस आसन को करने से पीठ में खिंचाव उत्पन्न होता है, इसलिए इसे पश्चिमोत्तासन कहते है. इस आसन से शरीर की सभी मासपेशियो पर खिंचाव पड़ता है.
पश्चिमोत्तासन करने की विधि | Steps to perform Paschimottanasana
- दोनों पैर सामने फैलाकर बैठ जाए. एड़ी -पंजे आपस में मिलाकर रखे.
- दोनों हाथ बगल में सटाकर, कमर सीधी और निगाहे सामने रखे.
- अब दोनों हाथ को बगल से ऊपर उठाते हुए कान से सटाकर ऊपर खींचते है.
- इस स्तिथि में दोनों हाथो के बिच में सिर होता है.
- अब सामने देखते हुए कमर से धीरे धीरे रेचक करते हुए झुकते जाते है.
- अपने दोनों हाथो से पैर के अंगूठे पकड़कर रखते है और ललाट को घुटने से लगाते है.
- यथाशक्ति सांस रोकने के बाद सिर को उठाते हुए और सांस फेफड़ों में भरते हुए पूर्व स्तिथि में आ जाते है.
पश्चिमोत्तासन के क्या लाभ है | Benefits of Paschimottanasana
- इससे उदार, छाती और मेरुदंड को उत्तम कसरत मिलती है.
- इस आसन के अभ्यास से मलावरोध, उदार रोग, कृमि विकार, सर्दी, खांसी, वाट विकार, कमर दर्द, मधुमेह, आदि रोग दूर होते है.
- कफ और चर्बी नष्ट होते है, पेट पतला होता है.
पश्चिमोत्तासन करते हुए बरते ये सावधानियां | Precautions and warnings
अगर किसी को पीठ दर्द की शिकायत है या पीठ पे कोई चोट हो तो वे इस आसन को न करे.
FAQ: Frequently Asked Questions.
Q1: कब्ज और पेट की गैस की समस्या के लिए कोनसा योग करे ?
Ans: वज्रासन – यह आसन आपके पाचनतंत्र को स्वस्थ रखता है और अपच भोजन की एव गैस की सम्भावना को कम करता है, इस आसन से रीढ़ की हड्डी स्वस्थ रहती है साथ हे साथ कमर व् गर्दन भी सीधी रहती है. ये एक ऐसा आसन है जो किसी भी समय किया जा सकता है. भोजन करने के बाद इस आसन में बैठने से हमने ग्रहण किया हुआ भोजन आसानी से पच जाता है साथ हे हमारा पेट तनाव मुक्त रहता है. कब्ज और गैस की समस्या और उसपे आसान घरेलु उपचार के बारेमे अधिक जानकारी के लिए पढ़िए हमारा आर्टिकल पेट से जुडी बीमारिया.
Q2: पेट की समस्या के लिए कौन सा योग करना चाहिए ?
Ans: पश्चिमोत्तासन – यह आसन गैस और कब्ज से राहत दिलाता है, साथ ही यह पेट की चर्बी कम करने में भी काफी लाभदायक है. अगर किसी व्यक्ति को पाचन की समस्या हो तो उन्हें रोजाना पश्चिमोत्तासन का अभ्यास जरूर करना चाहिए.
Q3: आंतो को मजबूत करने के लिए कोनसा योग करे ?
Ans: भुजंगासन – इस आसन से पित्ताशय की क्रियाशीलता बढ़ती है और पाचनप्रणाली की कोमल पेशिया मजबूत बनती है. इससे पेट की चर्बी घटने में भी मदत मिलती है और आयु बढ़ने के कारण से पेट के निचे के हिस्से की पेशियों को ढीला होने से रोकने में सहायता मिलती है.
Q4: पेट की गैस दूर करने के लिए कौनसा आसन करना चाहिए ?
Ans: एसिडिटी और गैस के लिए यह आसन जरूर करे.
1. वज्रासन
2. पवनमुक्तासन
3. धनुरासन
4. भुजंगासन
5. मत्स्यासन
6. पश्चिमोत्तसन
डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है. अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित है तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर ले और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई भी निर्णय ले.
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