Common Stomach Disease | पेट से जुडी 5 बीमारियां लक्षण, कारण, पथ्य, योगचिकित्सा व उपचार

This article covers 5 most common stomach disease, their symptoms, causes, precautions and which possible yoga remedies can be applied to cure these disease.

इंसान के शरीर में पेट एक ऐसा अंग है जिसे बीमारियों की जड़ माना जाता है, तो आइये विस्तार में समझते है पेट से जुडी 5 बीमारियां, उनसे जुड़े लक्षण, कारण, पथ्य तथा उपचार. हमारा स्वास्थ्य काफी हद तक हमारे पाचनतंत्र की कार्यक्षमता पर निर्भर करता है, पाचनतंत्र का सुचारु रूप से काम करना नाहि केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अति आवश्यक है. जिस व्यक्ति का पाचन स्वास्थ्य बिगड़ा हुआ है वो व्यक्ति शांत दिमाग से कोई निर्णय नहीं ले पाता, ऐसे व्यक्ति उत्साह के कमी के कारण हमेशा किसी शारीरिक गतिविधि से बचने की कोशिश करते है तथा दिमागी कमजोरी, सिरदर्द, पीलिया, चर्मरोग, गैस्ट्रिक अल्सर आदि रोगो के जाल में घसीटते चले जाते है और इस कारण उन्हें अपने सम्पूर्ण स्वास्थ्य को गवाना पड़ता है.

 

पेट व पाचनसंस्था के स्वास्थ्य के लिए योग और व्यायाम का महत्व

हमारे शरीर का स्वास्थ्य इस बात पर निर्भर करता है की खाये गए अन्न का पाचन ठिक से हो रहा है और अन्न के पोषक तत्वों को रक्त के माध्यम से कोशिकाओं तक पोहोचाया जा रहा है और हमारे शरीर में उत्पन्न होनेवाले अशुद्ध और बेकार पदार्थो को बाहर निकाला जा रहा है या नहीं, इसके लिए शरीर के अंगो का व्यायाम होना और उनकी कार्यक्षमता बढ़ाना बहुत जरुरी है.

व्यायाम हमारे पाचनतंत्र के स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक है, आप अगर किसी भी डॉक्टर के पास अपने पेट या पाचन से जुडी समस्या लेके जाओगे तो वोह आपको यही सलाह देंगे के दवाई व सही आहार के साथ जरुरी मात्रा में exercise किये बिना आपका digestion या पाचन सुधरेगा नहीं.

जानिए व्यायाम के हमारे शरीर, पेट व पाचनसंस्था के स्वास्थ्य के लिए होने वाले फायदे.
* मोटापा कम होता है, पेट की समस्याओ से मुक्ति और Weight Loss करने में मदत मिलती है.
* मासपेशियां मजबूत और स्वस्थ बन जाती है.
* शरीर में ऊर्जा आती है.
* भूक अच्छी लगती है.
* पाचनशक्ति मजबूत बनती है.
* रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
* रक्तसंचार सुचारु रूप से होता है.
* तनाव की समस्या दूर होती है.
* नियमित, मध्यम व्यायाम शरीर को स्वस्थ रखता है.

Common Stomach Disease, a woman exercising on the yoga mat
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आजकल की इस भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल के कारण हमारे पेट का स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है नतीजन हमें अपच, कब्ज, एसिडिटी, अलसर, पेट में गॅस होना और बवासीर जैसी गंभीर को समस्याओं से लड़ना पड़ रहा है, आइये समझते है ये पेट से जुडी 5 बीमारियां हमे क्यों हो रही है और इन पेट की समस्याओ को कैसे ठीक किया जा सकता है.

 

1. बदहजमी (अपच) | Indigestion – Most Common Stomach Disease

बदहजमी कोई बीमारी नहीं है बल्कि कई बीमारियों का एक लक्षण है, बदहजमी तब होती है जब पहला खाया हुआ खाना दूसरे खाने के समय तक पचता नहीं है.

बदहजमी (Indigestion) के कारण:

  • खाना ठीक से ना चबाना, जल्दी जल्दी में चबाये बिना ही खाना निगलना.
  • पहला भोजन पचने के पहले ही दूसरा भोजन करना.
  • अपनी जीभ को तृप्त करने के लिए दिनभर कुछ न कुछ खाते रहना.
  • पानी कम मात्रा में पीना.
  • रात के भोजन के बाद तुरंत सोना.

बदहजमी (Indigestion) के लक्षण:

  • पेट फूलना और हमेशा पेट भरने जैसा महसूस होना.
  • बदहजमी होना.
  • पेट में दर्द होना.
  • सीने में जलन.

बदहजमी (Indigestion) के पथ्य:

  • दिन में सोना व देर रात तक जागना कम करे.
  • अपचन में उपवास करना ये सर्वोत्तम उपाय है, उस दिन बिना कुछ खा के पूरा दिन उपवास करे, सिर्फ पानी पिए और अगर भूक सहन नहीं हो रही तो फल खाये.
  • खाना ठीक से चबाकर खाये, खाना खाते वक़्त मन प्रसन्न रखे, खाने का समय निश्चित करे और रोज उसी समय पर खाना खाये.
  • तला हुआ, मैदे का बना हुआ खाना न खाये, ज्यादा मीठा खाना परहेज करे.
  • अपने आहार में सीजनल फल और हरी पत्तेदार सब्जिया शामिल करे, पत्तेदार सब्जियों में अपचनीय सेल्यूलोस होने के कारण आतों में उत्तेजना होती है और मल आगे की और बढ़ता है, जिससे कब्ज की शिकायत से राहत मिलती है.
  • सुबह के नाश्ते के बाद पांच से दस मिनट तक वामकुक्षी (power-nap) करनी चाहिए और शाम को भोजन के बाद वॉकिंग करना चाहिए.

बदहजमी (Indigestion) के ऊपर योगचिकित्सा:

  • अर्धहलासन, भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, हलासन, योगमुद्रा, अर्धमत्स्येंद्रासन.
  • प्राणायाम- कपालभाति.
  • योगासन के द्वारा पाचनतंत्र कैसे सुधरे इस बारेमे हमारा आर्टिकल पाचनतंत्र सुधारने के लिए 6 आसान योगासन जरूर पढ़े.

बदहजमी (Indigestion) के उपाय:

  • आधा गिलास पानी में एक निम्बू निचोड़कर उसमे चीनी मिलाकर पिए.
  • एक गिलास पानी में एक चम्मच अदरक का रस, निम्बू, सैंधा नमक मिलाकर पिए.
  • पपीता खानेसे बदहजमी दूर होती है.
  • हर दो घंटे में एक चम्मच प्याज का रस लेने से बदहजमी दूर होती है.

 

2. कब्ज | Constipation

कब्ज के दो प्रकार होते है.
* अस्थायी कब्ज
* पुराना कब्ज़

अस्थायी कब्ज

* खानपान में बदलाव के कारण
* अगर हम रोज के खाने में नया कुछ बदलाव करके वो खाना खाए तो हमे कब्ज की शिकायत होने लगती है.
* न पचनेवाला खाना खानेसे.
* अपर्याप्त और कम वसायुक्त आहार (low-fat diet) लेनेसे.
* अगर हमें ज्वर हो तो भी अस्थायी कब्ज होती है.
* अगर शौच जाने का स्थान uncomfortable हो तो भी हमें अस्थायी कब्ज होती है.

पुराना कब्ज

क्या है पुराण कब्ज?
बड़ी आंत में आंतो की मासपेशियो की क्रिया के कारण मल तरंगों की तरह चलता है और आंत के अंतिम भाग मलाशय तक पहुंच जाता है फिर मलाशय सूज जाता है और बाजू तन जाता है और शौच की अनुभूति होती है. इस समय अगर आप शौच करने की जेहमत उठाते हो तो कुछ देर बाद मलाशय की मासपेशिया शिथिल हो जाती है और मल की थोड़ी मात्रा मलाशय में ही रह जाती है. वह यह ठोस पत्थर बनता है, इस प्रकार, मल की थोड़ी मात्रा मलाशय में लम्बे समय तक रहती है, जिससे पुराणी कब्ज होती है.

जानिये कब्ज (Constipation) के कारण:

अपर्याप्त, कम वसा वाले (low-fat diet) और कम फाइबर वाले आहार से मल की मात्रा कम हो जाती है. और मलाशय में कम मल जमा हो जाता है इसलिए, शौच की अनुभूति ठीक से नहीं होती है क्यों की उसकी मासपेशियो पर जोर नहीं पड़ता है.
आलस्य, काम की भागदौड़, अस्वस्छता, शौच की अनुभूति होने पर भी मल त्याग न होने का कारण आंतों की पेशियों की क्रिया तथा मलाशय की पेशियों की सवेदनशीलता कम हो जाती है.
जब मलाशय में मल पथरी बनती है, तो वो कभी कभी मलाशय के अंदर की मासपेशियो को घायल कर देते है या बवासीर के मामले में सूजन का कारण बनते है इसलिए शौचालय जाने के डर से शौचालय जाने से बचा जाता है.

कब्ज (Constipation) के लक्षण:

  • शौच को साफ़ न होना.
  • सिरदर्द होना.
  • सीने में जलन होना.
  • पेट के निचले हिस्से में भारीपन महसूस होना.
  • पेटदर्द होना, मन बैचैन होना.
  • मुँह से दुर्गन्ध आना.
  • मुहमे पानी आना.
  • मन उदास होना.
  • पाइल्स होना.

कब्ज (Constipation) के पथ्य:

  • बार बार पेट साफ़ होने की दवाई न ले.
  • अपना शरीर फिजिकली एक्टिव रखे. एक्सरसाइज या योग करे.
  • अपने आहार में पत्तेदार सब्जिया, फाइबर युक्त अन्न, फल ले.
  • अपने आहार में विटामिन बी युक्त चीज़े जरूर शामिल करे.
  • आवश्यक होगा तो पेट साफ़ करनेके लिए रात को सोने से पहले कुछ सफ़ेद तिल चबाये और एक कप गर्म पानी पिए या एक कप दूध में एक चम्मच
  • घी मिलाकर पिए याद रहे की दूध ज्यादा गर्म न पिए.
  • आहार में पूर्ण रूप से न पचनेवाले खाद्य पदार्थ जैसे पत्तेदार सब्जिया, फल, छिलके वाली दाल आदि भोजन को कच्चा यानी सलाद के रूप में कच्चा ही खाना चाहिए, इससे चोथा बनता है और मल त्यागने में मदत मिलती है.
  • सप्ताह में एक दिन पूर्ण उपवास रखे.
  • विटामिन-बी आंतो की मासपेशियो की टोन बढ़ाता है, इसलिए आहार में विटामिन-बी से भरपूर खाद्य पदार्थो को शामिल करना चाहिए, सुबह उठने के बाद खाली पेट और दिन भर भोजन के अलावा पानी पिए.

कब्ज (Constipation) के ऊपर योग चिकित्सा:

  • आसन- भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, सर्वांगासन, अर्धहलासन, पच्छिमोत्तासन, योगमुद्रा, पवनमुक्तासन, अर्ध मत्स्येन्द्रासन, शवासन.
  • क्रिया- कपालभाति
  • प्राणायाम – दीर्घ श्वसन.

कब्ज (Constipation) के उपाय: कब्ज दूर करने क लिए पहले अपने भोजन में बदलाव करे.

  • चावल और चपाती की तुलना में सब्जी और सलाद ज्यादा खाये.
  • कब्ज होने पर सबसे पहले चाय, कॉफ़ी, कोल्ड ड्रिंक का सेवन बंद करे.
  • रात के खाने के बाद तुरंत सोने न जाये, 10-15 मिनट तक वॉक करे.
  • सुबह उठने के बाद खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी सेवन करे.
  • रात को सोने से पहले डिनर होने के 2 घंटे बाद एक गिलास दूध पिए, दूध से कब्ज दूर होता है.

 

3. आम्लपित्त | Acidity

हम सबका पेट हाइड्रोक्लोरिक एसिड पैदा करता है जिसे जठराग्नि कहते है, यह एसिड इतना तेज होता है की अगर ये हमारे हाथ में लग जाए तो हमारे हाथो में छाले पड जाते है पर ये एसिड हमेशा पेट में फ़िल्टर नहीं होता, ये एसिड तब बनता है जब खाना पेट में जाता है ये हमारे भोजन पर पाचन प्रभाव डालता है और किसी भी खाद्यपदार्थों को घोल देता है. जब भोजन आमाशय (stomach) से होकर छोटी आंत में चला जाता है और पेट खाली हो जाता है तो आम्ल का स्त्राव भी बंद हो जाता है.

पर कभी कभी कुछ कारणों से खाली पेट में भी आम्ल का स्त्राव जारी रहता है तब वो आम्ल अपना प्रभाव दिखता है उसे एसिड रिफ्लक्स कहा जाता है जब पेट में जरुरत से ज्यादा एसिड बनता है तो उसे एसिड रिफ्लक्स कहते है इससे हमे घबराहट, ह्रदय पर दबाव महसूस होता है. इस रोग को हार्ट बर्न भी कहा जाता है. अगर समय रहते एसिडिटी का इलाज नहीं किया जाये तो ये अलसर का रूप ले लेती है. अल्सर आमतौर पर महिलाओ के मुकाबले पुरुषो में और 30 से 45 वर्ष की आयु में लोगों में अधिक आम है, गर्भवती महिलाओ को ये रोग नहीं होता इसके विपरीत यदि यह पहले हुआ है तो गर्भावस्था के बाद यह अपने आप ठीक हो जाता है.

Acidity होने के कारण:

  • दिन में सोना और रात को जागना.
  • चिंता, भावुक स्वाभाव, गुस्सा होना इस तरह की मानसिक स्तिथि एसिड उत्पादन को नियंत्रित करनेवाली नसों को प्रभावित करती है.
  • कब्ज होना.
  • आहार में विटामिन-बी की कमी.
  • बिना चबाये जल्दी जल्दी खाना खाना.
  • तंबाखू, शराब, सिगरेट आदि का सेवन करना.

Acidity के लक्षण:

  • छाती और गले में जलन.
  • खट्टी डकारे, मुँह में पानी आना, कभी कभी खाने के एक दो घंटे के बाद खट्टी कड़वी उलटी हो जाती है.
  • पेट में गैस बनता है उससे हमारे चेम्बर की सफाई नहीं होती इससे गैस का प्रेशर हार्ट पर आ जाता है.
  • घबराहट होना, पसीना आना.
  • चक्कर आना.

Acidity के पथ्य: आम्लपित्त में पथ्य अति आवश्यक है आहार का पालन करके दैनिक आहार विहार में संयम रखा जाए तो एसिड रिफ्लेक्स के लक्षण कम हो जाएंगे.

  • पाचन में आसान और हल्का भोजन ले भोजन का समय नियमिन होना जरूरी है.
  • देर रात तक भोजन न करे और भोजन के बाद सोने के पहले एक घंटा आराम करे.
  • तूर दाल, मांस मछली, बिस्कुट, चॉकलेट, मिठाई, चाय, शराब, निम्बू, संत्रादि से परहेज करे.
  • भोजन में हमेशा क्षारीय खाद्य पदार्थ ले जैसे के सेब, केला, दूध, ब्रेड, मुंग, पत्तागोभी, आलू, रतालू, पालक, खीरा, अंगूर, अंजीर, गाजर, टमाटर, खजूर, अंजीर, आदि.
  • सप्ताह में एक दिन केवल क्षारीय भोजन ले और वो जल्दी करे. उस दिन दूध या चोचले और खूब पानी पिए.
  • हमारे स्वास्थ्य के लिए आहार में 1/3 अम्लीय और 2/3 क्षारीय खाद्यपदार्थ होने चाहिए लेकिन हमारा आहार अधिक अम्लीय होता है और क्षारीय खाद्यपदार्थों की कमी होती है इससे अम्ल और क्षार का संतुलन बिगड़ जाता है और अम्लता बढ़ती है इसलिए अम्लता बढ़ने वाले खाद्य पदार्थो से परहेज करे वॉर क्षारीय पदार्थो का सेवन कर अम्लता को कम करना चाहिए.

Acidity पर योग चिकित्सा:

  • अर्धहलासन, भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, पवनमुक्तासन, सर्वांगासन.
  • क्रिया – कपालभाति.

आम्लपित्त का इलाज करते समय आहार पर अधिक ध्यान देना चाहिए उचित आहार का पालन करे और निचे दिए गए आसान और क्रियाए करे.

आम्लपित्त (Acidity) के उपाय:

  • आम्लपित्त (एसिडिटी) से निजात पाने के लिए रोज एक गिलास ठंडा दूध पिए.
  • रोज सुबह खाली पेट आंवले का रस पिए.
  • अजवाइन का सेवन करनेसे भी एसिडिटी कम होती है.
  • रोजाना एक केला खाये, केला खानेसे भी एसिडिटी से राहत मिलती है.
  • आप एसिडिटी से बहुत परेशांन है तो पुदीने के पत्ते चबाये.
Common Stomach Disease
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4. क्या होता है अल्सर | Ulcer

जैसे ही भोजन पाचन के लिए आमाशय में प्रवेश करता है यह आमाशय के अस्तर के निचे कई सूक्ष्म ग्रंथियों द्वारा स्त्रावित जठर रस में अवशोषित हो जाता है इस पंचकार में हायड़्रोक्लोरिक एसिड होता है, यह एसिड इतना तेज होता है की अगर इस एसिड दो बून्द हाथ पर दाल दी जाए तो वह की त्वचा घुल जाएगी और घाव हो जाएगा, लेकिन इस अम्ल का पेट की परत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है क्यों की पेट की भीतरी परत मे ऐसी ग्रंथिया होती है जो चिपचिपे द्रव का स्त्राव करती है यह चिपचिपा घोल पेट की परत पर ऑयल पेंट की तरह एक तरह की परत बना देता है इस चिपचिपे घोल पर हाइड्रोक्लोरिक एसिड की कोई मात्रा कार्य नहीं करती है लेकिन अगर कुछ क्षत्रो में कोशिकाओं मृत या अक्षम है तो एसिड उस क्षेत्र पर अपना प्रभाव दिखाता है इससे उस स्थान पर घाव हो जाता है उसको अल्सर (Ulcer) कहते है.

जानिये अल्सर (Ulcer) होने के कारण:

Ulcer होने का कोई निश्चित कारण नहीं लेकिन हाइड्रोक्लोरिक एसिड अल्सर का कारन बनता है.
अल्सर उन्ही जगह पर होता है जहा इस एसिड का असर ज्यादा होता है हाइड्रोक्लोरिक एसिड, भावनात्मक प्रकोप, चिंता, अवसाद, तनाव आदि जैसे गर्म, मसालेदार, भड़काऊ खाद्यपदार्थ खानेसे.

चाय, कॉफ़ी, तम्बाखू, शराब, धूम्रपान का अधिक सेवन ulcer को बढ़ावा देता है.
बोहोत गर्म, मसालेदार भोजन करने से बलगम स्त्रावित करनेवाली कोशिकाओं की ताकत कमजोर हो जाती है और जिस क्षेत्र में कोशिकाएं मृत होती है वो एसिड से प्रभावित होता है और अल्सर (ulcer) हो जाता है मसालेदार खानेवाले अल्सर लोंगो में अधिक पाया जाता है.

Ulcer के लक्षण:

  • खाने के बाद पेट फूलना और बैचेनी होना.
  • भूक लगती है लेकिन दर्द के डर से रोगी खाने से हिचकिचाता है.
  • कभी कभी मतली और उलटी हो जाती है.
  • पेट पर हाथ से दबाने पर देखा जाता है की रेक्टस पेशी ऊपर की तरफ सख्त होती है साथ ही ulcer वाले हिस्से पर दबाव पड़नेसे दर्द होता है.

Ulcer के पथ्य:

  • दिन में चार बार थोड़ा थोड़ा खाना, एक बार में बहुत कुछ न खाना और जो भी खाये वो ठीक से चबाकर खाए. सिर्फ जल्दबाजी में खाना न निगले.
  • तला हुआ भोजन, भुनी हुई दाल, दाले विशेष रूप से तूर दाल, कठोर बीज वाले फल जैसे अमरुद, कठोर पचनेवाले खाद्य पदार्थो को आहार में नहीं लेना चाहिए.
  • केला, चना, सेब, टमाटर, आलू, शकरकंद, गाजर, संतरा, निम्बू, दूध, पत्तेदार सब्जिया, शराब जैसे क्षारीय खाद्य पदार्थो का अधिक प्रयोग करे.
  • सोडा खानेसे, निम्बू जैसे पेय पदार्थो पीनेसे रोगी को अच्छा महसूस होता है लेकिन यह राहत स्थायी है आठ इन पदार्थो का अधिक प्रयोग न करे.
  • धूम्रपान करनेवालों में अल्सर की घटनाएं अधिक होती है, तम्बाखू में कुछ पदार्थ अम्लता का कारन बनते है इसलिए धूम्रपान और तम्बाखू खानेसे बचे.
  • घबराहट पैदा करनेवाले चीज़ो से बचे और एक खुश और संतुष्ट मन बनाये रखे.

Ulcer पे योग चिकित्सा:

  • सर्वांगासन, भुजंगासन, धनुरासन, हलासन, योगमुद्रा, शवासन.
  • प्राणायाम: लम्बी श्वास और अनुलोम विलोम, कपालभाति.

अल्सर (Ulcer) विकारो में किसी भी उपचारो से पहले उचित आहार और आराम महत्वपूर्ण है.
आसान शुरू करने के पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करे.

Common Stomach Disease
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5. पेट में गैस की समस्या | Gastric Problem

पेट में गैस बनना बहुत ही आम समस्या है, छोटे बच्चो से लेकर बुजुर्गों तक हर एक व्यक्ति को कभी न कभी इस समस्या का सामना करना पड़ता है, पेट में के बहुत से कारण हो सकते है जैसे अति भोजन करना, ज्यादा देर तक कुछ भी न खाना, चटपटा या तीखा भोजन करना, काफी देरतक एक जगह बैठे रहना, ज्यादा सोचना, शराब पीना आदि इससे भी पेट में गैस बनती है. जरुरत से ज्यादा का वजन भी पेट के गैस की समस्या बन सकता है, Weight Loss करने के लिए हमारा Weight Loss Tips in Hindi ये article जरूर पढ़े.

पेट में गैस होने के लक्षण:

  • भूक न लगना.
  • बदबूदार साँसे आना.
  • पेट में सूजन होना.
  • पेट फूलना.

जानिये पेट में गैस की समस्या से छुटकारा पाने के कुछ घरेलु नुस्खे:

  • रोजाना नारियल पानी का सेवन करे.
  • अदरक का टुकड़ा चबाने से पेट की गैस में कमी आती है.
  • सेब का सिरका (Apple Cider Vinegar) गर्म पानी में मिलाकर पिने से भी आपको लाभ होगा.
  • सप्ताह में एक दिन उपवास रखने से भी पेट साफ़ रहता है और गैस की समस्या पैदा नहीं होती.
  • कच्चा लहसुन खाने से भी गैस से राहत मिलती है.
  • दिनभर दो से तीन इलायची का सेवन करने से भी गैस की समस्या से निजात मिलती है.

 

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है. अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित है तो कृपया डॉक्टर से परामर्श जरूर ले और डॉक्टर के सुझावों के आधार पर ही कोई भी निर्णय ले.

अगर ब्लॉग में दी गयी जानकारी आपको पसंद आयी हो तो कृपया इस आर्टिकल को अपने परिजनों से शेयर करे, और आर्टिकल के बारे मे कोई भी विचार या सुझाव हो तो निचे दिए comment box में जरूर कमेंट करे.

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